कहानी अमेरिका के उन दो पायलट की जिन्होंने अपनी सूझबूझ से न केवल प्लेन हादसे को रोका. बल्कि, उसकी नदी में ही सफल लैंडिंग भी करवाई और विमान में सवार 155 लोगों की जान भी बचाई. तो क्या था ये पूरा मामला चलिए जानते हैं विस्तार से...
15 जनवरी 2009... शाम की तीन बजकर 24 मिनट पर यूएस एयरवेज 1549 (एयरबस A320) की फ्लाइट ने न्यूयॉर्क सिटी से नॉर्थ कैरोलिना के चार्लोट एंड सिएटल ( Charlotte and Seattle) जाने के लिए उड़ान भरी. इस प्लेन में कुल 150 पैसेंजर्स और पांच क्रू मेंबर्स सवार थे.
इस प्लेन को पायलट चेस्ली सुलेनबर्गर (Chesley Sullenberger) उड़ा रहे थे. जबकि, उनका साथ दे रहे थे फर्स्ट ऑफिसर जेफरी स्काइल्स (Jeffrey Skiles). ये दोनो काफी अनुभवी पायलट थे. चेस्ली पहले अमेरिकन एयरफोर्स में पायलट रह चुके थे. उनके पास 15 हजार 663 से ज्यादा फ्लाइट आवर्स का एक्सपीरिएंस था. वहीं, जेफरी भी के पास भी 15 हजार 600 फ्लाइट आवर्स का एक्सपीरिएंस था.
डेली मेल के मुताबिक, उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद यह फ्लाइट 2800 फीट की ऊंचाई पर जा पहुंचा. विमान अपने सफर की ओर आगे बढ़ता जा रहा था. तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसे देख दोनों ही पायलट को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. कनाडा गीज (Canada geese) नामक पक्षियों का झुंड अचानक प्लेन के आगे आ गया.
प्लेन के इंजन में फंस गए पक्षी
बता दें, विमान जब आसमान में उड़ता है तो उसका इंजन हवा में थ्रस्ट पैदा करने के लिए सामने की हवा को अपने पीछे की ओर धकेलता है. इसलिए प्लेन के सामने आया पक्षियों का झुंड पीछे की ओर जाने लगा. इस कारण कई पक्षी हवा के साथ प्लेन के इंजन में फंस गए. जिस कारण प्लेन के दोनों इंजन जाम हो गए. और उसके टर्बोफैन ने काम करना बंद कर दिया.
उसके ठीक बाद विमान में एक धमाका हुआ. धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि पूरा प्लेन हिल गया. विमान में बैठे यात्री घबराने लगे. चीख-पुकार मच गई. लेकिन क्रू मेबर्स ने उन्हें शांत करवाने की कोशिश की. इंजन डेड हो जाने के कारण अब प्लेन हवा में ग्लाइड करने लगा. जिस कारण दोनों पायलट परेशान हो गए. वे लगातार इंजन को रीस्टार्ट करने की कोशिश करने लगे. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद इंजन रीस्टार्ट नहीं हुआ.
पायलट ने किया ATC से संपर्क
इसके बाद प्लेन धीरे-धीरे नीचे गिरने लगा. पायलट चेस्ली ने तुरंत ATC को इसकी सूचना दी. उन्होंने कहा कि वे वापस लागोर्डिया एयरपोर्ट (LaGuardia Airport) आना चाहते हैं. कंट्रोलर के पास जैसे ही यह मैसेज पहुंचा, उन्होंने तुरंत लैंडिंग की परमिशन दे दी. पायलट को जानकारी दी कि वे एयरपोर्ट के 31 नंबर रनवे पर पर विमान को लैंड करवाएं.
लेकिन प्लेन जिस स्पीड से नीचे गिर रहा था, तो पायलट ने वहां जाने से इनकार कर दिया. क्योंकि वहां से एयरपोर्ट काफी ज्यादा दूर था. पायलट चेस्ली ने कहा कि अगर हम वापस एयरपोर्ट आते हैं तो प्लेन उससे पहले ही न्यूयॉर्क सिटी के बीचों-बीच गिर सकता है. जिससे प्लेन में मौजूद यात्रियों के साथ-साथ शहर में मौजूद हजारों लोगों की भी जान जा सकती है.
हडसन नदी पर लैंडिंग का लिया फैसला
पायलट ने कहा कि उन्हें न्यूजर्सी के किसी एयरपोर्ट पर लैंडिंग करवाने की परमिशन दी जाए. उनकी डिमांड मान ली गई. और विमान को न्यूजर्सी के टेटरबोरो एयरपोर्ट पर लैंडिंग की परमिशन दे दी. लेकिन प्लेन और भी ज्यादा नीचे आ चुका था. तीन बजकर 28 मिनट पर प्लेन जमीन से सिर्फ 1600 फीट की ऊंचाई पर था. पायलट के पास बहुत ही कम वक्त था. इसलिए उन्होंने फैसला लिया कि वे वहां पास में हडसन नदी (Hudson River) पर प्लेन की लैंडिंग करवाएंगे.
कंट्रोलर पहले तो यह सुनकर चौंक गए. लेकिन पायलट का अनुभव देखते हुए कंट्रोलर ने उन्हें नदी में लैंडिंग की परमिशन दे दी. इसके बाद यात्रियों को सूचना दी गई कि सभी अपनी-अपनी सीट बेल्ट और लाइफ जैकेट पहन लें. वहीं, रेस्क्यू के लिए समुद्री जहाज और कोस्ट गार्ड टीम को वहां भेज दिया गया.
पायलट ने करवाई सफल क्रैश लैंडिंग
अब प्लेन जमीन से सिर्फ 500 फीट ऊपर था. धीरे-धीरे यह नीचे आने लगा और पायलट ने 3 बजकर 31 मिनट पर हडसन नदी पर क्रैश लैंडिंग करवाई. उस वक्त प्लेन की स्पीट 230 किलोमीटर प्रति घंटा थी. लेकिन पायलट ने इतने अच्छे से प्लेन की लैंडिंग करवाई कि विमान पानी में उसी तरह लैंड किया जैसे जमीन पर करता है. विमान पानी में ऊपर ही रहा मानो वह तैर रहा हो.
तभी पायलट ने सभी को प्लेन के अगले गेट से बाहर निकालने का ऑर्डर दिया. लेकिन इसी बीच एक पैसेंजर ने प्लेन के पीछे का गेट खोल दिया. प्लेन के पीछे का गेट का गेट पानी के अंदर था. इसलिए तुरंत पानी प्लेन के अंदर घुसने लगा. सभी पैसेंजर्स को तेजी से बाहर निकाला जाने लगा. कुछ पैसेंजर्स प्लेन के विंग पर चढ़ गए तो कुछ पैसेंजर्स लाइफ जैकेट पहने होने के कारण नदी में ही कूद गए.
35 सेकंड लेट होते तो हो सकता था बड़ा हादसा
कोस्ट गार्ड की रेस्क्यू टीम पहले से ही वहां मौजूद थी. इसलिए सभी लोगों को बचा लिया गया. इस हादसे में सिर्फ पांच लोगों को गंभीर चोटें आईं. लेकिन सभी लोग इस हादसे में बच गए.
इसके बाद NTSB टीम ने इस घटना की जांच की. पाया गया कि पायलट चेस्ली अगर यह हडसन नदी में लैंडिंग करवाने का फैसला लेने में 35 सेकंड भी लेट होते तो प्लेन हवा में ही क्रैश हो जाता.
जांच के बाद इस लैंडिंग को 'मोस्ट सक्सेसफुल लैंडिंग' का अवार्ड दिया गया. घटना में सभी लोग बच गए थे इसलिए इसे 'मिरेकल ऑफ द हडसन' नाम भी दिया गया. यही नहीं, दोनों पायलटों को अवार्ड देकर भी सम्मानित किया गया.