टि्वटर के साथ विवाद से नाराज भारत अब सोशल मीडिया कंपनियों को नियंत्रण में रखने के लिए नए नियम लाने की तैयारी कर रहा है। सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म पर कोई फर्जी संदेश किसने और कब चलाया, सरकार यह जान सकेगी। इन प्लेटफॉर्म पर और इंटरनेट के जरिए वीडियो सामग्री का प्रचार कर रहे ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री पर तीन स्तर पर निगरानी रखी जाएगी।
केंद्र सरकार बे-रोकटोक चल रहे ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए भी ला रही नई नियमावली
नए नियमों के तहत आदेश देने पर 36 घंटे के अंदर विवादित कंटेंट को हटाना होगा। जांच या साइबर सिक्योरिटी घटना में आग्रह के 72 घंटे के अंदर जानकारी देनी होगी। अश्लील कंटेंट से जुड़ी पोस्ट को शिकायत के एक दिन के अंदर हटाना होगा। कंपनियों को चीफ कंप्लायंस ऑफिसर ग्रिवेंस रिड्रेसल ऑफिसर तैनात करने होंगे, जो भारतीय नागरिक होंगे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म के जरिए बीते एक वर्ष में कई विवाद पैदा हुए। चाहे वह किसी टीवी सीरीज के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करना हो या झूठे वीडियो, फोटो, संदेश, फैलाकर दंगे करवाना या फिर किसी भी भ्रामक तथ्य के जरिए किसी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाना हो।
कुछ नए प्लेटफॉर्म खुद इसका हिस्सा रहे तो कुछ विवाद आम लोगों द्वारा इनके गलत उपयोग से पैदा हुए। ओटीटी प्लेटफॉर्म बाद में माफी मांगकर सामग्री हटाकर या नीतियां बदलकर बचते रहे हैं, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो जाता है।
तीन स्तरीय निगरानी : फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप आदि पर
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपना मॉडरेटर रखना होगा जो इनके जरिए फैलाई जा रही सामग्री के लिए जिम्मेदार होगा। अगर उनके मॉडरेशन में गलती पाई गई तो सजा दी जा सकेगी।
सरकारी दूसरे स्तर पर नियामक एजेंसी बनाएगी जिसमें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हो सकते हैं।
तीसरे स्तर पर सरकारी संस्थाएं होंगी जो इन प्लेटफॉर्म पर निगरानी रखेंगे और मामले सामने आने पर दोषी कंपनी को दंडित कर पाएंगे। उनकी सबसे अहम शक्ति सामग्री को ब्लॉक करने की होगी। इनके आदेश पर कुछ मामलों में कंपनियों को 24 घंटे में और बाकियों में 15 दिन में कार्यवाही करनी होगी।
'यू' से 'ए' की रेटिंग देनी होगी
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम, जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म को तीन स्तरीय निगरानी प्रणाली के तहत रखा जाएगा।
शो को 'यू' (सभी के लिए उपयुक्त) से लेकर 'ए' (केवल वयस्कों के लिए) जैसी रेटिंग देनी होगी।
संदेश पकड़ने की शक्ति
मसौदे की एक अहम बात, ऐसे संदेशों को पकड़ने की शक्ति सरकारी एजेंसियों को मिलनी है, जो उन्हें लगता है कि फर्जी हैं और लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह किसी एसएमएस की तरह हो सकता है, जिसे किसने शुरू किया, यह टेलीकॉम कंपनियों के जरिए पकड़ा जा सकता है।
सोशल मीडिया कंपनियों को इसके लिए अपनी निजता नीति एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन के नियमों में कुछ ढील देनी पड़ सकती है।