ABG Shipyard Bank Fraud Case: 1985 में शुरू हुई एबीजी शिपयार्ड पर देश के 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. इस मामले में SBI ने पहली बार नवंबर 2019 में CBI में शिकायत दर्ज कराई थी. CBI ने 7 फरवरी 2022 को केस दर्ज किया है.
देश के 28 बैंकों से 22 हजार 842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इसे देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला कहा जा रहा है. इस मामले में CBI ने 7 फरवरी को FIR दर्ज की है, जिसमें एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के चेयरमैन ऋषि कमलेश अग्रवाल (Rishi Kamlesh Agarwal), एमडी संथान मुथुस्वामी के अलावा कंपनी के तीन डायरेक्टर को आरोपी बनाया है. ये FIR देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI की शिकायत पर दर्ज की गई है.
बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला सामने आने के बाद सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने जहां देरी से FIR दर्ज होने पर सरकार को घेरा है तो वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का कहना है कि बैंकों ने कम समय में इस घोटाले को पकड़ा है.
सभी आरोपियों के खिलाफ CBI ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के केस दर्ज किए हैं. 1985 में शुरू हुई एबाीजी शिपयार्ड जहाज बनाने और मरम्मत का काम करती है.
15 साल पहले CAG रिपोर्ट में हुआ था अहम खुलासा
- 15 साल पहले यानी 2007 में कम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि एबीजी शिपयार्ड को अक्टूबर 2007 में 1.21 लाख स्क्वायर मीटर की जमीन आधे दाम में दी गई थी.
- रिपोर्ट में कहा गया था कि इस जमीन की कीमत 1400 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर थी, लेकिन एबीजी शिपयार्ड को ये 700 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की दर से दी गई. इससे राज्य सरकार को 8.46 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
- जिस वक्त ये जमीन देने का मामला सामने आया था, उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी के सीएम रहते जमीन सस्ते दाम पर दी गई. एबीजी शिपयार्ड के चेयरमैन ऋषि अग्रवाल सूरत के रहने वाले हैं और उन्हें नरेंद्र मोदी का करीबी भी माना जाता है.