स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को अहमदाबाद ब्लास्ट के 49 दोषियों को सजा सुनाई है. इसमें से 38 को फांसी की सजा, जबकि 11 को अजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में स्पेशल कोर्ट ने 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है. जबकि 11 दोषियों को अजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इतिहास में पहली बार एक साथ इतने लोगों को फांसी की सजा दी गई है. धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकी बेहद शातिर किस्म के हैं. वे न सिर्फ हाईटेक WIFI का इस्तेमाल करते थे, बल्कि कॉल करने के बाद फोन बंद कर लेते थे. 26 जुलाई 2008 को गुजरात के अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. आइए जानते हैं किस तरह इस टेरर मॉड्यूल का खुलासा हुआ और इन्हें कैसे गिरफ्तार किया गया.
22 जुलाई 2008 को दिल्ली से आजमगढ़ मॉड्यूल का चीफ आतिफ अमीन, मोहम्मद साजिद उर्फ पंकज और मोहम्मद सैफ अहमदाबाद गए थे. इसमें से आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद बाद में बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए थे. इसके बाद 25 जुलाई 2008 को मोहम्मद शकील, जिया उर रहमान, जीशान अहमद, सलमान, आरिफ, सैफुर रहमान, आरिज खान, मिर्जा शादाब बेग और मोहम्मद खालिद अहमादाबाद पहुंचे. इन्होंने 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में बम प्लांट किया और इस दिन ही शाम की ट्रेन से दिल्ली वापस आ गए.
हाइटेक तौर-तरीकों से भेजा ईमेल
अहमदाबाद में ब्लास्ट के बाद पुलिस की एक टीम जांच के लिए पहुंची थी. गुजरात विस्फोट से जुड़ा ईमेल एडवांस WI-FI तकनीक के जरिए मुंबई से भेजा गया था. WI-FI इंटरनेट कनेक्शन को इस्तेमाल करने वाले का बाद में पता नहीं लगाया जा सकता था. ब्लास्ट के बाद सबसे पहले पुलिस की जांच में 3 मोबाइल नंबर संदेह के घेरे में आए. ये नंबर 14 जुलाई तक अहमबादाद और सूरत में बेहद एक्टिव थे और ब्लास्ट वाले दिन अचानक बंद हो गए.
दिल्ली के जामिया नगर से किया गया फोन
पुलिस को एक और नंबर की जानकारी मिली. यह नंबर 17 जुलाई को दिल्ली में एक्टिव था और 24 जुलाई को अचानक अहमदाबाद में एक्टिव हो गया. इस नंबर पर 5 अलग-अलग मोबाइल और लैंडलाइन से फोन किया गया. सभी 5 नंबर दिल्ली के जामिया नगर इलाके के थे. लेकिन कॉल करने वालों को ट्रेस नहीं किया जा सका. इसके अलावा कुछ नंबर महाराष्ट्र के मुंबई और गुजरात में भी ट्रेस किए गए. नंबरों को इंटरसेप्ट करने पर पता चला कि फोन पर बात कर रहे लोगों तक हवाला के जरिए मोटी रकम पहुंचाई जा रही है. इनके बीच आपस में ऑटो पार्किंग, सूटकेस और क्रॉकरी को लेकर बातचीत की गई थी. इसे ही आधार बनाकर पुलिस ने जांच की और सभी आरोपियों को बारी-बारी से गिरफ्तार किया था.
नरेंद्र मोदी के विधानसभा क्षेत्र में हुए थे धमाके
बता दें कि 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पहला बम धमाका हुआ था. ये धमाका मणिनगर में हुआ था. मणिनगर उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसक्षा क्षेत्र था. इसके बाद 70 मिनट तक 20 और बम धमाके हुए थे. इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. ये बम धमाके इंडियन मुजाहिदीन ने 2002 में गोधरा कांड का बदला लेने के लिए किए थे.आतंकियों ने टिफिन में बम रखकर उसे साइकिल पर रख दिया था. भीड़-भाड़ और बाजार वाली जगहों पर ये धमाके हुए थे. इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन (IM) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े आतंकी शामिल थे. धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन के 12 आतंकी शामिल थे. धमाकों से 5 मिनट पहले आतंकियों ने न्यूज एजेंसियों को एक मेल भी किया था जिसमें लिखा था, 'जो चाहो कर लो. रोक सकते हो तो रोक लो.'