केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने सोमवार को सदन में कहा कि कश्मीर में 2010 में पत्थरबाजी से 112 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में पत्थरबाजी से घाटी में एक भी मौत नहीं हुई. वहीं, 2023 में घुसपैठ की 48 घटनाएं सामने आई हैं.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आने लगी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं के आंकड़े संसद में गिनाए.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल सोमवार को राज्यसभा से पास हो गए. ये बिल जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक हैं. इन बिलों पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा दिया और आतंकवाद को जन्म दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्षी दलों के लिए बड़ी हार है.
इन बिलों पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को लेकर कुछ आंकड़े भी रखे. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई.
जम्मू-कश्मीर में कैसे घटा आतंकवाद?
- आतंकवाद की घटनाएंः अमित शाह ने बताया कि 2004 से 2014 के बीच आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुईं. जबकि, बीते 10 साल में आतंकवाद की 2,197 घटनाएं हुईं.
- पत्थरबाजी की घटनाएंः उन्होंने बताया कि 2010 में पत्थरबाजी की 2,656 घटनाएं सामने आई थीं. जबकि, इस साल पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई. 2010 में पथराव से 112 लोगों की मौत हुई थी, जबकि इस साल एक भी मौत नहीं हुई.
- सीजफायर उल्लंघनः अमित शाह के मुताबिक, 2010 में पाकिस्तान की ओर से 70 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया था, जबकि इस साल सिर्फ 6 बार ही सीजफायर उल्लंघन हुआ है.
टेरर फंडिंग का इकोसिस्टम खत्म करने की कोशिश की
राज्यसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने और भी आंकड़े रखे. उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की वजह से 42 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है. उन्होंने दावा किया कि सरकार ने घाटी में टेरर फंडिंग के इकोसिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है.
इससे पहले लोकसभा में इन बिलों पर चर्चा के दौरान शाह ने बताया था कि 1994 से 2004 के बीच जम्मू-कश्मीर में 40,164 आतंकी घटनाएं हुई थीं. 2004 से 2014 के बीच 7,217 घटनाएं हुई थीं. जबकि, मोदी सरकार के 2014 से 2023 के कार्यकाल में करीब दो हजार घटनाएं हुई हैं.
अमित शाह ने कहा था कि इसलिए हम कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद की वजह कुछ और नहीं, बल्कि अनुच्छेद 370 था.