राफेल सौदे से जुड़ा विवाद फिर से टेक ऑफ करने वाला है। भारत को 36 राफेल फाइटर प्लेन बेचे जाने के मामले में भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों की न्यायिक जांच फ्रांस में शुरू हो चुकी है। 14 जून से शुरू हुई इस जांच की निगरानी स्वतंत्र जज कर रहे हैं।
आरोप ये है कि राफेल फाइटर प्लेन बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने भारत से ये कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए किसी मध्यस्थ को रिश्वत के तौर पर मोटी रकम दी। फ्रांस ये पता लगा रहा है कि ये पैसा भारतीय अधिकारियों तक पहुंचा था या नहीं। आरोप तो ये भी हैं कि भारत सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एविएशन को डील दिलाने के लिए दबाव बनाया। फ्रांस इसकी भी जांच कर रहा है।
ये गुप्त जांच फ्रांस में खोजी पत्रकारिता करने वाले मीडिया संस्थान ‘मीडियापार’ की राफेल डील पर की गईं अहम रिपोर्ट्स की वजह से शुरू हुई है। वहीं, फ्रांस के एक NGO ‘शेरपा’ ने भी भारत के साथ राफेल डील में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। फ्रांस और भारत के बीच 36 राफेल फाइटर प्लेन की डील हुई। इनमें से 24 विमान भारत आ चुके हैं। ऐसे में वहां चल रही जांच के नतीजे दोनों देशों में राजनीतिक भूचाल ला सकते हैं।
दैनिक भास्कर ने ‘मीडियापार’ के लिए राफेल डील पर 6 रिपोर्ट्स करने वाले खोजी पत्रकार यॉन फिलिपीन और NGO ‘शेरपा’ की लिटिगेशन ऑफिसर शॉनेज मंसूस से बात की। इसमें हमने फ्रांस में चल रही गुप्त जांच की इनसाइड स्टोरी जानने की कोशिश की। हम इसे 2 हिस्सों में ला रहे हैं।