भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से द्विपक्षीय वार्ता की. उन्होंने इस दौरान अमेरिका के समक्ष भारतीयों को वीजा जारी करने में देरी का मामला उठाया. इस पर ब्लिंकन ने कहा कि कोरोना के बाद से भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में वीजा जारी करने में दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें सुलाझाया जाएगा.
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान वीजा जारी करने में देरी का मुद्दा उठाया. जयशंकर ने वॉशिंगटन डीसी में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीयों को अमेरिकी वीजा जारी हासिल करने में जरूरत से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ता है .. इस पर ब्लिंकन ने कहा कि वह इस मामले की संवेदनशीलता से वाकिफ हैं और जल्द ही इसे सुलझाया जाएगा.
जयशंकर ने कहा कि भारत ने जरूरत पड़ने पर वीजा के लिए आवेदनों के बैकलॉग में मदद की है लेकिन अमेरिका को खुद से चीजें संभालनी होंगी.
जयशंकर ने कहा, मैंने अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन को सुझाव दिया कि अगर भारत सरकार इस मुद्दे को बेहतर तरीके से सुलझाने के लिए अमेरिकी सरकार की कुछ मदद कर सकती है तो बेशक की जाएगी. लेकिन यह मुद्दा मुख्य रूप से अमेरिका है और उसे ही इससे निपटना होगा. हम सहयोग करेंगे.
उन्होंने कहा, भारत में विशेष रूप से छात्रों को अमेरिकी वीजा के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है इसलिए यह गंभीर समस्या है. लेकिन मैं आश्वस्त हूं आश्वस्त हूं कि अमेरिकी प्रशासन इस समस्या को सुलझाएगा. हमें उम्मीद हैं कि चीजों में सुधार होगा.
अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, वीजा जारी करने में देरी का मामला सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. कोरोना महामारी के बाद से दुनियाभर में अमेरिकी दूतावास और उनके मिशन को वीजा जारी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
जयशंकर के साथ द्विपीक्षाय वार्ता के बाद ब्लिंकन ने वीजा जारी करने में देरी का कारण बताते हुए कहा कि हम दुनियाभर में इस समस्या का सामना कर रहे हैं. वीजा जारी करना विदेश विभाग का सेल्फ फाइनेंसिंग हिस्सा ही है, जिसका मतलब है कि दुनियाभर में वीजा जारी करने के लिए हम जो फीस लेते हैं, उसे हमारे बजट में वीजा जारी करने के लिए हम जो फीस लेते हैं, उसे हमारे बजट में जोड़ा जाता है.
ब्लिंकन ने कहा, जब कोरोना महामारी शुरू हुई तो दुनियाभर में वीजा की मांग एकदम से गिर गई, जिससे वीजा के लिए वसूली जाने वाली फीस में भी गिरावट आई. इससे पूरे सिस्टम को नुकसान हुआ है.
बता दें कि इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमानों और उपकरणों के रखरखाव के नाम पर भारी भरकम पैकेज दिए जाने के अमेरिका के फैसले पर भी आपत्ति जताई थी. भारत की इस आपत्ति पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सफाई देते हुए कहा था कि आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमानों की जरूरत है.