अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) के 58 वर्षीय व्यक्ति की CT स्कैन रिपोर्ट में फेफड़े में 90% इन्फेक्शन बताया गया, लेकिन RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव रही। मरीज की हालत खराब थी, लेकिन इलाज के बाद ठीक हो गए।
भिलाई (छत्तीसगढ़) के 65 वर्षीय महिला को सांस लेने में तकलीफ थी। सीटी स्कैन में दोनों फेफड़े में 80% इन्फेक्शन बताया गया। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव रही, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
छत्तीसगढ़ के इन दोनों केस में स्थिति एक-सी थी। दोनों ही मामलों में RT-PCR कोरोना वायरस की पुष्टि करने में नाकाम रहा। यह पहली बार नहीं हुआ और लगातार देखने में आ रहा है। पूरे देश से रिपोर्ट्स आ रही हैं कि वायरस के नए वैरिएंट्स टेस्ट में पता ही नहीं चलते। जब तक CT स्कैन कराया गया, तब तक फेफड़े को काफी नुकसान पहुंच चुका था। इसकी वजह कोरोना के वैरिएंट्स हो सकते हैं। जिसके बारे में केंद्र सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि देश के 18 राज्यों में कोरोना के वैरिएंट्स मिले हैं। इनमें ब्राजील, UK और दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट्स शामिल हैं। यह बहुत ही ज्यादा इन्फेक्शियस होने के साथ ही तेजी से ट्रांसमिट हो रहे हैं। सबसे खतरनाक डबल म्यूटंट वैरिएंट महाराष्ट्र में मिला था, जिसमें दो जगहों पर बदलाव हुए हैं।
खास बात यह है कि RT-PCR को कोरोना वायरस की जांच में गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट समझा जाता है। रैपिड एंटीजन के मुकाबले इसके नतीजों की सटीकता भी काफी बेहतर है। इसके बाद भी कुछ वैरिएंट्स के सामने यह नाकाम हो रहा है। छत्तीसगढ़ की कोरोना कोर कमेटी के सदस्य डॉ. आरके पंडा ने कहा कि पिछले हफ्ते कई ऐसे मामले आए जिनमें लोगों के CT स्कैन में फेफड़े में काफी इन्फेक्शन नजर आया और डॉक्टरों ने गंभीर केस बताया, लेकिन जांच में कोरोना निगेटिव निकला। प्रदेश में ऐसे ढाई सौ से ज्यादा केस आ चुके हैं। करीब 50 मामले ऐसे हैं जिनमें मरीजों की कोविड जांच रिपोर्ट निगेटिव थी, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
क्या वैरिएंट्स हो सकते हैं निगेटिव रिपोर्ट का कारण?