रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच ने आज आरकॉम के कर्ज लेने के मामले में अपना फैसला सुना दिया है। एनसीएलटी ने अनिल अंबानी के खिलाफ दिवालिया केस चलाने की मंजूरी दे दी है।
दरअसर, अनिल अंबानी ने अपनी गारंटी पर आरकॉम के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। मामले में 30 जून को एनसीएलटी ने एसबीआई की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायिक सदस्य मोहम्मद अजमल और एक तकनीकी सदस्य रविकुमार की खंडपीठ ने आदेश सुरक्षित रखा था।
एसबीआई ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 97 (3) के तहत न्यायाधिकरण में अपील की थी, जिसमें अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करने के लिए एक समाधान पेशेवर (आरबी) नियुक्त करने का दिवालिया बोर्ड को निर्देश देने का अनुरोध किया था। अनिल अंबानी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल को दिए गए कर्ज के लिए व्यक्तिगत गारंटी दी थी।
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की प्रमुख कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने 2019 की शुरुआत में दिवालियापन के लिए आवेदन किया था। रिलायंस कम्युनिकेशंस ने 2019 अपने को दिवालिया घोषित किए जाने का आवेदन किया था। भारतीय स्टेट बैंक ने कंपनी के कर्ज के समाधान की एक योजना प्रस्तुत की थी जिसमें ऋणदाताओं को अपने बकाए की 23,000 करोड़ रुपये की राशि की वसूली होने का अनुमान था। यह राशि उनके कुल बकाए की करीब आधी है।
जानकारी के अनुसार, अगस्त 2016 को एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को क्रेडिट सुविधा के तहत 565 करोड़ और 635 करोड़ रुपये के दो लोन दिए थे और सितंबर 2016 में अनिल अंबानी ने इस क्रेडिट सुविधा के लिए पर्सनल गारंटी दी थी।
जनवरी 2017 में दोनों लोन खाते डिफॉल्ट हो गए। इनको अगस्त 2016 से ही डिफॉल्ट माना गया। जनवरी 2018 में एसबीआई ने अनिल अंबानी की पर्सनल गारंटी को रद्द कर दी थी। बाद में इन दोनों खातों को पूर्व निर्धारित तिथि 26 अगस्त 2016 से एनपीए घोषित कर दिया गया। यह प्रक्रिया लोन एग्रीमेंट के पूरे होने से पहले कर ली गई।