कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर किसानों का धरना शुक्रवार को जारी रहा। उधर, आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रही बातचीत आगे के लिए फिलहाल बंद हो गई है। क्योंकि सरकार व किसानों के बीच भले ही बातचीत बेनतीजा रहती हो, लेकिन हर बार बैठक की अगली तारीख तय हो जाती थी और इस तरह से बातचीत का रास्ता भी खुला रहता था।
इस बार की बैठक भी बेनतीजा रही। वहीं आगे की तारीख भी तय नहीं हुई है। ऐसे में बातचीत का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है। अब किसानों ने सरकार को ट्रैक्टर परेड से ताकत दिखाने का फैसला कर लिया है और अब किसान भी 26 जनवरी से पहले सरकार के साथ बातचीत नहीं करने के मूड में दिख रहे हैं। हालांकि किसान नेताओं में परेड को शांतिपूर्ण निकालने की चिंता बनी है। युवाओं से शांति व्यवस्था बनाए रखने की सबसे ज्यादा अपील की जा रही है।
कृषि कानून रद्द कराने के लिए किसान पिछले 58 दिनों से सड़कों पर डटे हैं। किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। यह सभी बैठक बेनतीजा रहीं लेकिन पिछली सात बैठकों में गतिरोध बढ़ने के बावजूद अगली बैठक की तारीख तय हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि किसानों की 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड को सरकार रोकना चाहती है और इसलिए ही लगातार बैठक कर उनको मनाने में लगी थी।
जहां बुधवार को किसानों व सरकार के बीच गतिरोध कुछ कम हुआ था, वहीं किसानों की नाराजगी शुक्रवार को कुछ ज्यादा ही बढ़ गई। किसान नेताओं ने जहां मंत्रियों पर काफी देर इंतजार कराकर अपमान करने का आरोप लगाया है। वहीं इस बार आगामी बैठक की तारीख भी तय नहीं हुई। कुल मिलाकर 11वें दौर की बैठक से किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बढ़ गया है और बातचीत का आगे का रास्ता भी फिलहाल बंद होता दिख रहा है।
नाराज किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि अब सरकार को गणतंत्र दिवस की किसान ट्रैक्टर परेड से अपनी ताकत दिखाएंगे। गणतंत्र दिवस को जहां सरकार अपनी परेड कराएगी, वहीं किसान अपनी परेड करेंगे। किसान नेताओं को उम्मीद है कि यह ट्रैक्टर परेड एतिहासिक होगी और इसमें देशभर के लाखों किसान शामिल होंगे। किसान नेताओं के सामने परेड से शरारती तत्वों को दूर रखने और हिंसा को रोकने की बड़ी चुनौती है।
किसान नेता खुद भी इसे बड़ी चुनौती मानकर चल रहे हैं और युवाओं से भावुक अपील कर रहे हैं कि अगर परेड में हिंसा होती है तो सरकार की जीत होगी और परेड शांतिपूर्ण तरीके से होती है तो किसानों की जीत हो जाएगी। क्योंकि उनको लगता है कि अगर परेड में किसी तरह की हिंसा हुई तो किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा।
सरकार से बातचीत बेनतीजा रही और इस बार बैठक की अगली तारीख नहीं मिली है। सरकार केवल 26 जनवरी की परेड को रोकने के लिए तरह-तरह के प्रस्ताव दे रही है लेकिन किसान कृषि कानून रद्द करने के साथ ही एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। अब नहीं लगता है कि 26 जनवरी से पहले सरकार से कोई बातचीत होगी। अब किसान ट्रैक्टर परेड निकालकर अपनी ताकत दिखाएंगे। सरकार को बताया जाएगा कि देशभर का किसान किस तरह से कानूनों के खिलाफ एकजुट है। - गुरनाम सिंह चढूनी, सदस्य संयुक्त किसान मोर्चा।
सरकार से कृषि कानूनों को लेकर कोई बात नहीं बनी है, क्योंकि सरकार अभी तक कानूनों को केवल स्थगित करने की बात कह रही है और यह किसानों को मंजूर नहीं है। अब सरकार अपना गणतंत्र दिवस मनाएगी और किसान अपनी ट्रैक्टर परेड को गणतंत्र दिवस पर निकालेंगे। युवाओं से अपील की गई है कि वह ट्रैक्टर परेड में किसी तरह की हिंसा नहीं होने देंगे और कोई शरारती तत्व परेड में दिखाई देता है तो उसको खुद पकड़कर पुलिस को सौंपेंगे। - बलबीर सिंह राजेवाल, सदस्य संयुक्त किसान मोर्चा।