प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वर्ल्ड वॉटर डे पर जल शक्ति अभियान की शुरुआत की। इस अभियान को 'कैच द रेन' नाम दिया गया है। PM मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि मनरेगा का पैसा और कहीं नहीं जाना चाहिए। इसकी एक-एक पाई पानी बचाने के काम आनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मानसून आने में अभी कुछ हफ्ते का समय है, इसलिए हमें पानी बचाने की तैयारियां अभी से जोरों से करनी है। टैंकों, तालाब और कुओं की सफाई हो जाए। वर्षा जल के रास्ते में कोई रुकावट हो, तो उसे हटाना है। इसमें कोई बहुत बड़ी इंजीनियरिंग की जरूरत नहीं है। मनरेगा का पैसा और कहीं नहीं जाना चाहिए।
मोदी के भाषण की 5 अहम बातें
1. केन-बेतवा लिंक के लिए बड़ा कदम उठाया गया
मुझे खुशी है कि जलशक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। प्रयास भी बढ़ रहे हैं। पूरी दुनिया आज जल के महत्व को उजागर करने के लिए इंटरनेशनल वॉटर डे मना रही है। हम दो महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए यहां जुटे हैं। दुनिया के सामने उदाहरण पेश हो और भारत में पानी की समस्या का समाधान हो, इसलिए केन-बेतवा लिंक के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया गया है।
2. अटल जी का सपना आज पूरा हुआ
अटलजी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पानी की समस्या दूर करने के लिए जो सपना देखा था, उसे पूरा किया जा रहा है। आज अगर कोरोना नहीं होता और हम अगर झांसी बुंदेलखंड में आकर यह उद्घाटन करते, तो इसमें लाखों लोग आते। यह इतना महत्वपूर्ण काम हो रहा है।
3. विकास के साथ-साथ जलसंकट भी बढ़ता जा रहा
हम अगर जन भागीदारी से पानी बचाने की पहल करेंगे, तो यह समस्या नहीं लगेगी, बल्कि पानी पैसे से भी ज्यादा मूल्यवान लगेगा। यह काम दशकों पहले होना था, लेकिन नहीं हुआ। भारत जैसे-जैसे विकास की तरफ बढ़ रहा है, जलसंकट भी वैसे-वैसे बढ़ता जा रहा है। इसलिए हमें इस बार पानी बचाने में कोई कसर नहीं छोड़नी है।
4. आने वाली पीढ़ी के लिए जिम्मेदारी निभानी होगी
हमारी जिम्मेदारी है कि हमें आने वाली पीढ़ी को पानी देकर जाना है। पानी से पवित्रता रखेंगे। यह वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि वे आने वाली पीढ़ी के लिए अभी से जिम्मेदारी निभाएं। हमें भविष्य के संकटों का अभी से समाधान तलाशना है। बीते छह साल से इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। पर ड्रॉप, मोर क्रॉप, अटल जल योजना, नमामी गंगे जैसी परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। भारत वर्षा जल का जितना अच्छा प्रबंधन करेगा, जमीनी जल पर निर्भरता उतनी ही कम होगी।
5. पहली बार कोई सरकार जल संकट को लेकर गंभीर
आजादी के बाद पहली बार पानी की टेस्टिंग को लेकर किसी सरकार द्वारा इतनी गंभीरता से काम किया जा रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि पानी की टेस्टिंग के इस अभियान में हमारे गांव में रहने वाली बहनों-बेटियों को जोड़ा जा रहा है।
30 नवंबर तक चलेगा अभियान
इस अभियान को मानसून की शुरुआत से पहले और उसके खत्म होने के बीच 30 मार्च से 30 नवंबर के बीच चलाया जाएगा। जमीनी स्तर पर जल संरक्षण में जन भागीदारी के लिए इस अभियान को जन आंदोलन के रूप में शुरू किया जाएगा। इसका मकसद बारिश के पानी को बचाने और संरक्षित करने के लिए लोगों को आगे लाना है।
केन-बेतवा संपर्क परियोजना पर मुहर लगी
इस दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन-बेतवा संपर्क परियोजना के लिए ऐतिहासिक समझौते पर भी साइन किया। नदियों को आपस में जोड़ने की यह राष्ट्रव्यापी योजना देश की यह पहली परियोजना है।
चुनाव वाले राज्यों को छोड़कर सभी जगह होंगे कार्यक्रम
इस कार्यक्रम के बाद जल और जल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए देश के सभी जिलों की ग्राम पंचायतों और ग्राम सभाओं में कार्यक्रम आयोजित कराए जाएंगे। जल संरक्षण के लिए ग्राम सभाएं जल शपथ भी लेंगी। यह आयोजन उन राज्यों में नहीं होंगे, जहां चुनाव होने वाले हैं।