Delhi Metro के कर्मचारी Prafull Singh का नाम Guinness World Record में दर्ज हो गया है. उन्होंने दिल्ली मेट्रो के सभी 254 स्टेशन 16 घंटे में घूम लिए हैं. aajtak.in से बातचीत में प्रफुल्ल ने रिकॉर्ड के बारे में सब बताया.
राजधानी दिल्ली की गर्मी, प्रदूषण और जाम से बचाने के लिए दिल्ली मेट्रो यातायात का एक बढ़िया साधन है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसी दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) में सफर करके एक शख्स ने Guinness World Records (गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड) में नाम दर्ज करा लिया है. यह कारनामा किया है प्रफुल्ल सिंह (Prafull Singh) ने, जो कि दिल्ली के ही रहने वाले हैं और दिल्ली मेट्रो में ही काम भी करते हैं.
आजतक से बातचीत में Prafull Singh ने इस रिकॉर्ड (Guinness World Records Fastest Time to Travel all Delhi Metro Stations) के बारे में सब बताया. चलिए सबसे पहले यह जान लीजिए कि आखिर Prafull Singh का नाम Guinness World Records में आया किस वजह से है.
- Guinness World Records में क्यों आया प्रफुल्ल सिंह का नाम?
प्रफुल्ल सिंह ने सबसे कम वक्त में दिल्ली मेट्रो के सारे स्टेशन में सफर करने का रिकॉर्ड बनाया है. DMRC की तरफ से खुद ट्वीट करके भी इसकी जानकारी दी गई. यह रिकॉर्ड बनाने के लिए प्रफुल्ल ने 254 स्टेशनों का सफर तय किया. जिसमें उनको 16 घंटे 2 मिनट 17 सेकेंड लगे. बता दें कि दिल्ली मेट्रो का 254 स्टेशनों वाला यह नेटवर्क 348 किलोमीटर में फैला है.
दिल्ली मेट्रो में ऐसा एक रिकॉर्ड पहले से दर्ज था. उसमें शख्स ने 16 घंटे 45 मिनट में सभी स्टेशनों में ट्रैवल किया था. प्रफुल्ल ने अब 16 घंटे 2 मिनट 17 सेकेंड में दिल्ली मेट्रो के सभी स्टेशनों पर ट्रैवल करके उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.
बातचीत में प्रफुल्ल बोले, '254 स्टेशनों की लिस्ट में एक्वा और रैपिड मेट्रो लाइन शामिल नहीं थी. इसके अलावा रेड, येलो, ब्लू, ऑरेंज, ग्रीन, वायलेट, मैजेंटा, पिंक और ग्रे लाइन में मैंने सफर किया था.'
33 साल के प्रफुल्ल सिंह दिल्ली मेट्रो में ही काम करते हैं. उन्होंने बताया कि वह दिल्ली मेट्रो में रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पद पर काम करते हैं. मेट्रो में काम करते हुए उनको पांच साल हो चुके हैं. प्रफुल्ल ने दिल्ली से ही बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग) फिर MBA (फाइनेंस) की पढ़ाई की. फिर दिल्ली मेट्रो का एग्जाम पास करके यह सरकारी जॉब (रेवेन्यू इंस्पेक्टर) पाई. उनका घर राजधानी के ही रोहिणी में है.
रिकॉर्ड बनाने की प्रफुल्ल सिंह को कैसे सूझी? इसका जवाब देते हुए प्रफुल्ल ने कहा, 'लंदन मेट्रो का एक फेमस चैलेंज होता है जिसे Tube Challenge कहते हैं. Guinness World Record में इसका जिक्र है. उसके बारे में पढ़ते हुए ही मुझे पता चला कि दिल्ली मेट्रो में भी ऐसा रिकॉर्ड बनाया जा सकता है.'
- क्या प्रफुल्ल का रिकॉर्ड तोड़ना आसान है?
प्रफुल्ल कहते हैं, 'यह रिकॉर्ड बनाना इतना भी आसान नहीं है. 16 घंटे से ज्यादा लगातार सफर करना बड़ा कठिन होता है. इसके साथ-साथ रास्ते भर में लॉग शीट मेंटेन करना, स्टेशनों की फोटोज खींचना, विटनेस से साइन कराना सफर को और कठिन बना देता है. मेरे लिए यह थोड़ा आसान इसलिए बन गया क्योंकि मैं मेट्रो में ही काम करता हूं तो कई चीजों को बाकियों से बेहतर समझता हूं.'
अब दिल्ली मेट्रो में सफर करने वाले लाखों लोगों के मन में भी यह सवाल होगा कि क्या वह प्रफुल्ल का रिकॉर्ड तोड़कर Guinness World Records में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं? इसके लिए हमने प्रफुल्ल ने जाना कि आखिर यह रिकॉर्ड कोई कैसे बना सकता है. प्रफुल्ल ने बताया कि इसके लिए Guinness World Records पर अप्लाई करना होगा. प्रफुल्ल ने इसके लिए 19 जनवरी 2021 को अप्लाई किया था. फिर अप्रैल में उनको अप्रूवल मिला. फिर 29 अगस्त 2021 को उन्होंने इसे अटेंप्ट किया.
प्रफुल्ल ने बताया कि सफर की शुरुआत जिस स्टेशन से होती है वहां एक विटनेस से स्टापवॉच शुरू कराई जाती है. फिर वह स्टॉपवाच लेकर दूसरा शख्स उस स्टेशन पर पहुंच जाता है जहां रिकॉर्ड की कोशिश कर रहे शख्स का सफर खत्म होना है. फिर जब शख्स वहां पहुंचेगा तो स्टॉप वॉच को बंद किया जाएगा. लेकिन सफर के दौरान लॉग शीट (किस स्टेशन पर ट्रेन कितने बजे पहुंची) मेंटन करना, स्टेशनों की फोटोज खींचना, लॉग शीट पर विटनेस (किसी सहयात्री) के साइन कराना भी होता है, जो चैलेंज को और कठिन बनाते हैं. चैलेंज की सभी शर्तें Guinness World Records की साइट से ही पता चलती हैं.
आजतक से बातचीत में प्रफुल्ल ने बताया कि उनको फिटनेस टास्क का शौक है, जिसके लिए वह साइकलिंग आदि के अलग-अलग इवेंट्स में हिस्सा ले चुके हैं. उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पहले से दर्ज है. इसके लिए उन्होंने 3000 किलोमीटर इंडोर साइकलिंग की थी, इसमें कुल 134 घंटों का वक्त लगा था. एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी प्रफुल्ल का है. प्रफुल्ल कहते हैं कि रिकॉर्ड के जरिए वह लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा मेट्रो का इस्तेमाल करें.