Railway train ticket concession: कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 में ट्रेन टिकटों पर रेलवे ने कई सारी रियायतें बंद कर दी थी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि इन रियायतों पर लगी रोक को हटाने का फिलहाल कोई विचार नहीं है. अभी दिव्यांगजनों और मरीजों को ही ट्रेन टिकटों पर रियायत मिल रही है.
रेलवे ने ट्रेन टिकट पर कई यात्रियों को मिलने वाली छूट को खत्म कर दिया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले हफ्ते लोकसभा में बताया कि कोरोना महामारी के चलते 20 मार्च 2020 को रेलवे ने कई रियायतों को रोक दिया था और फिलहाल इस रोक को हटाने का कोई विचार नहीं है. रेलवे पहले बुजुर्गों को भी ट्रेन टिकट पर कुछ रियायत देता था, लेकिन अभी इस पर भी रोक लगी है.
रेल मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना से पहले रेलवे 53 कोटियों में ट्रेन टिकट पर छूट देता था. लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अभी केवल दिव्यांगजनों की 4 कोटियां और मरीजों-छात्रों की 11 कोटियों को ही रियायत मिल रही है.
- अब किन-किन लोगों को मिल रही रियायत?
1. दिव्यांगजन
- शारीरिक रूप से विकलांग ऐसे लोगों को किराये में छूट मिलती है जो किसी सहयोगी के बिना यात्रा नहीं कर सकते. ऐसे लोगों को फर्स्ट और सेकंड एसी में 50% और बाकी क्लास में 75% तक की छूट मिलती है.
- नेत्रहीनों को भी राजधानी और शताब्दी गाड़ियों की थर्ड एसी और कुर्सी यान की टिकट पर 25% की रियायत मिलती है. ये छूट नेत्रहीन व्यक्ति के साथ यात्रा कर रहे एक व्यक्ति को भी मिलती है.
- मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति और उसके साथ यात्रा कर रहे एक साथी को मंथली और क्वार्टली पास पर 50% की छूट मिलती है.
- मूक-बधिर व्यक्ति और उसके साथ यात्रा कर रहे एक यात्री को भी ट्रेन टिकट और मंथली या क्वार्टली पास पर 50% की छूट दी जाती है.
2. मरीज
- जांच या इलाज के मकसद से यात्रा कर रहे कैंसर रोगी और उसके साथी यात्री को 75% की छूट मिलती है. ये छूट स्लीपर और थर्ड एसी में 100% तक रहती है. जबकि फर्स्ट और सेकंड एसी में 50% की छूट मिलती है.
- थैलीसिमिया के मरीज को भी फर्स्ट और सेकंड एसी की टिकट में 50% और बाकी क्लास की टिकटों में 75% की छूट मिलती है. ये छूट उसके साथ यात्रा करने वाले को भी मिलती है. यही छूट हार्ट और किडनी की समस्या से जूझ रहे मरीजों को भी मिलती है.
- हैमोफीलिया के मरीज और उसके साथ यात्रा कर रहे एक यात्री को ट्रेन टिकट में 75% की छूट मिलती है. फर्स्ट या सेकंड एसी के टिकट पर छूट नहीं मिलती है.
- टीबी या लुपस वलगेरिस से पीड़ित मरीजों को इलाज या जांच के लिए यात्रा करने पर टिकट में 75% की छूट मिलती है. यही छूट कुष्ट मरीजों को भी मिलती है. इन मरीजों को फर्स्ट या सेकंड एसी के टिकट पर कोई रियायत नहीं दी जाती.
- एड्स और ऑस्टोमी के मरीजों को सेकंड क्लास की टिकट पर 50% की छूट दी जाती है. ऐसे मरीजों को मंथली और क्वार्टली पास बनवाने पर भी 50% की रियायत मिलती है.
- अप्लास्टिक एनीमिया और सिकल सैल एनीमिया के मरीजों को स्लीपर, एसी 2 टियर, थर्ड एसी, कुर्सी चेयर कैटेगरी की टिकट पर 50% की रियायत दी जाती है. हालांकि, ये रियायत तभी मिलती है जब मरीज मेल या एक्सप्रेस गाड़ियों के मान्यता प्राप्त अस्पतालों में इलाज के लिए यात्रा करते हैं.
- इन लोगों को मिलनी वाली रियायतें अभी बंद
- 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग पुरुषों को किराये में 40% और 58 साल से ऊपर की बुजुर्ग महिलाओं को 50% की छूट मिलनी बंद हो गई है.
- राष्ट्रपति पुलिस पदक और भारतीय पुलिस पुरस्कार के विजेताओं को 60 साल के बाद किराये में छूट मिलती है. पुरुषों को 50% और महिलाओं 60% छूट मिलती थी. श्रम पुरस्कार विजेताओं को 75%, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों को 50% और राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार विजेताओं को 50% छूट मिलती थी.
- युद्ध शहीदों की विधवा:
आतंकवादी या उग्रवादी घटनाओं में शहीद हुए पुलिसकर्मी या पैरा मिलिट्री फोर्स के शहीद जवानों की पत्नी को सेकंड क्लास और स्लीपर में 75% की छूट मिलती थी. कारगिल युद्ध और श्रीलंका में कार्रवाई के दौरान शहीद हुए जवानों की पत्नी को भी यही छूट मिलती थी.
अपने घर या शैक्षणिक दौरों पर जाने वाले छात्रों को 50-75% तक की छूट मिलती थी. ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी स्कूलों के छात्रों को साल में एक बार शैक्षणिक दौरे पर जाने के लिए सेकंड क्लास की टिकट पर 75% की छूट मिलती थी. साथ ही ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों की छात्राओं को भी यही छूट थी. UPSC या SSC की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को सेकंड क्लास में 50% की छूट मिलती थी. 35 साल तक के स्कॉलर, भारत सरकार के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले विदेशी छात्रों को भी सेकंड और स्लीपर क्लास की टिकट पर 50% की रियायत दी जाती थी.
राष्ट्रीय युवा परियोजना और मानव उत्थान समिति के कार्यक्रमों में भाग लेने जा रहे युवाओं को 40 से 50% की छूट मिलती थी. केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहे युवाओं को 50 से 100% तक की छूट थी. स्काउटिंग ड्यूटी के लिए स्काउट्स और गाइड्स को भी सेकंड और स्लीपर क्लास में 50% की छूट थी.
प्रदर्शनी में भाग लेने जा रहे किसानों को सेकंड और स्लीपर क्लास में 25% की छूट थी. सरकार की विशेष गाड़ियों में यात्रा करने वाले किसानों को 33% छूट मिलती थी. फार्मिंग या डेयरी संस्थानों का दौरा करने वाले किसान यात्रियों को सेकंड और स्लीपर क्लास की टिकट पर 50% की छूट मिलती थी.
केंद्र या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकारों को मीडिया से जुड़े काम के लिए यात्रा करने पर किराये में 50% की छूट मिलती थी. पत्रकार साल में दो बार पत्नी और बच्चे के साथ भी रियायत के साथ यात्रा कर सकते थे.
किसी भी मकसद से यात्रा कर रहे एलोपैथिक डॉक्टरों को टिकट पर 10% की छूट मिलती थी. इसके अलावा नर्स को भी छुट्टी या ड्यूटी के लिए सेकंड और स्लीपर क्लास की टिकट पर 25% की छूट मिलती थी.
- लेकिन ये छूट खत्म क्यों की गई?
- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया था कि रियायतें देने से रेलवे पर भार पड़ता है, इसलिए वरिष्ठ नागरिकों समेत बाकी यात्रियों को दी जाने वाली रियायत का दायरा बढ़ाना सही नहीं है. उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण रेलवे के रेवेन्यू में काफी कमी आई है.
में रेल मंत्री वैष्णव ने जानकारी दी थी कि यात्री टिकटों की बिक्री से रेलवे को 2019-20 में 50,669 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था, जो 2020-21 में घटकर 15,248 करोड़ रुपये हो गया. 2021-22 में सितंबर तक रेलवे को 15,434 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था.
में उन्होंने संसद में जानकारी दी थी कि रेल टिकटों पर रियायत देने की वजह से रेलवे को 2018-19 में 1,995 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. ये घाटा 2019-20 में बढ़कर 2,059 करोड़ रुपये हो गया. रियायतें बंद करने की वजह से रेलवे को 2020-21 में महज 38 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.