कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस व अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित हमलों के खिलाफ पंजाब विश्वविद्यालय के 35 छात्रों के खुले पत्र पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया है। शीर्ष अदालत याचिका पर अन्य लंबित मामलों के साथ सुनवाई कर सकती है।
पंजाब विश्वविद्यालय के 35 छात्रों ने लिखा था पत्र, अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई कर सकती है शीर्ष अदालत
ह्यूमन राइट्स फॉर पंजाब नामक एनजीओ के माध्यम से भेजे गए इस खुले पत्र में हरियाणा सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। पत्र में कहा गया है कि हरियाणा पुलिस ने किसानों के खिलाफ वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और लाठीचार्ज भी किया गया। अपने गृह राज्यों में लगभग दो महीने के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के बाद किसानों को दिल्ली मार्च के लिए मजबूर होना पड़ा।
छात्रों का दावा है कि सरकार और पक्षपाती मीडिया किसानों की समस्याओं को दूर करने के बजाय प्रदर्शनकारियों को अलगाववादियों के रूप में चित्रित कर रहे हैं। छात्रों ने हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों पर बल प्रयोग के इस्तेमाल की जांच की मांग की है। उन्होंने किसानों के खिलाफ सभी मुकदमों को वापस लेने के लिए हरियाणा और दिल्ली पुलिस को निर्देश जारी करने की भी गुहार लगाई गई है। दावा किया गया है कि राजनीतिक प्रतिशोध के तहत ये मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
बता दें कि कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है और किसान धरने पर बैठे हैं। सोमवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई सातवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा ही रही। अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। धरना-प्रदर्शन का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इससे लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।