आज वर्ल्ड ब्लड डोनर डे है। हर साल ही 14 जून को यह पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह साल खास है, क्योंकि पिछले एक साल से अधिक समय से कोविड महामारी की वजह से स्वेच्छिक ब्लड डोनेशन थम-सा गया है। भारत में औसतन हर साल 1.4 करोड़ यूनिट्स ब्लड लगता है, पर इसके मुकाबले मिलता है सिर्फ 1.1 करोड़ यूनिट्स। कोविड की वजह से तो स्वेच्छा से ब्लड डोनेट करने वाले घट गए हैं। वे कोविड मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों में जा नहीं पा रहे।
कोविड ने किस तरह ब्लड डोनेशन को प्रभावित किया है? इसके लिए क्या नियम हैं और इस साल की ब्लड डोनर डे की थीम समेत अन्य विषयों पर मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की ब्लड बैंक ऑफिसर डॉ. कृष्णप्रिया सिकची ने अहम जानकारी शेयर की है। आइए सवाल-जवाब के जरिए समझते हैं कि कोविड-19 के इस समय में ब्लड डोनेशन कितना और क्यों अहम हो गया है।
क्या ब्लड डोनेशन से पहले कोविड-19 इन्फेक्शन की जांच होती है?
नहीं। अब तक NBTC ने अपनी गाइडलाइन में ब्लड डोनर की जांच की सिफारिश नहीं की है। डोनेशन के समय डोनर को सलाह दी जाती है कि वह कोविड-19 डायग्नोसिस और लक्षणों के बारे में स्टाफ को सूचित करें।
क्या कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
हां। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक अगर आपने वैक्सीन का डोज लिया है तो 14 दिन के बाद ही ब्लड डोनेशन किया जा सकता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने पहला डोज लिया है या दूसरा। पर तब यह देखना होगा कि ब्लड डोनर ब्लड डोनेशन की अन्य शर्तों को पूरा करता है या नहीं। कोविड-19 महामारी को देखते हुए ब्लड डोनर को ब्लड बैंक को ब्लड डोनेट करते समय वैक्सीन की जानकारी देना बेहद जरूरी है।