कैबिनेट ने बुधवार को लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले से भारत में महिला और पुरुषों की शादी की उम्र एक समान हो जाएगी. सरकार मौजूदा कानून में संशोधन कर महिलाओं की शादी की उम्र को बढ़ाने जा रही है. इसके लिए सरकार ने जून 2020 में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया था जिसमें नीति आयोग के सदस्य डॉ वीकेपॉल भी शामिल थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, टास्क फोर्स ने पिछले महीने ही प्रधानमंत्री कार्यालय और महिला व बाल विकास मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
समिति ने शादी की उम्र 21 साल करने का सुझाव देश भर के 16 विश्वविद्यालयों के युवाओं के फीडबैक के आधार पर दिया है. 15 एनजीओ को देश के दूर-दराज इलाकों और हाशिए पर रहने वाले समुदाय के युवाओं तक पहुंचने के काम में लगाया गया था. टास्क फोर्स के सदस्यों ने बताया कि सभी धर्मों से संबंध रखने वाले युवाओं से फीडबैक लिया गया है जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के युवा बराबर संख्या में शामिल थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि शादी में देरी का परिवारों, महिलाओं, बच्चों और समाज के लिए सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पड़ता है. शादी की उम्र बढ़ाने से महिलाओं की सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि शादी की उम्र को बढ़ाकर 18 से 21 किया जाए लेकिन एक चरणबद्ध तरीके से. इसका मतलब ये है कि राज्यों को पूरी आजादी और समय दिया जाए जिससे वो जमीनी तौर पर काम कर सकें क्योंकि इस कानून को एक रात में लागू नहीं किया जा सकता.
समिति ने सुझाव दिया है कि सरकार लड़कियों के लिए स्कूल और कॉलेज की संख्या बढ़ाए और दूर-दराज के इलाकों में लड़कियों के स्कूल तक पहुंचने की भी व्यवस्था करे. लड़कियों को स्किल और बिजनेस ट्रेनिंग के साथ-साथ सेक्स एजुकेशन देने का भी सुझाव दिया गया है. रिपोर्ट में शादी की उम्र बढ़ाने को लेकर जागरुकता अभियान चलाने को भी कहा गया है.