बिहार की राजनीतिक पिच पर, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने एक बार फिर टी 20 की तर्ज पर एक सांस रोक मैच में जीत हासिल की। तेजस्वी के युवा नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन के बजाय बिहार के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिग्गज नेतृत्व को प्राथमिकता दी।
मंगलवार देर रात बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के नतीजों में, राज्य में सत्तारूढ़ राजग ने 125 सीटों के बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल कर लिया है। राजद के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गया है। इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच, लोजपा और बसपा ने एक-एक सीट जीती है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की है। वहीं, एग्जिट पोल फिर से बिहार के लोगों के मूड को पकड़ने में नाकाम रहे।
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा ने 74, जनता दल (यूनाइटेड) ने 43 सीटों, विकास इन्सान पार्टी (वीआईपी) ने चार और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (WE) ने जीत हासिल की। चार सीटें जीतीं।
वहीं, विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद ने 74 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 19 सीटें जीतीं, सीपीआई माले ने 12 सीटें, सीपीआई और सीपीआई-एम ने दो-दो सीटें जीतीं। इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच, लोजपा और बसपा ने एक-एक सीट जीती है। निर्दलीय उम्मीदवार एक सीट जीतने में सफल रहा है। वहीं, वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जेडीयू ने फिर से जीत हासिल की है।
- NDA का लाभ: मोदी पर भरोसा, जंगल राज का डर
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जनता का भरोसा
- युवा तेजस्वी की तुलना में अनुभवी मोदी-नीतीश पर भरोसा
- उज्ज्वला, मुफ्त शौचालय, नकद राहत जैसी केंद्रीय योजनाएं
- जंगल राज का डर 15 साल पहले लालू-राबड़ी के समय में
- महिलाओं और मौन मतदाताओं का समर्थन