आचार्य चाणक्य ने अच्छे मित्र को लेकर कई सारी बातें बताई हैं. वहीं चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में जीवन भर साथ निभाने वाले मित्र के स्वरूप पर भी चर्चा की है.
आचार्य चाणक्य ने अच्छे मित्र को लेकर कई सारी बातें बताई हैं. वहीं चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में जीवन भर साथ निभाने वाले मित्र के स्वरूप पर भी चर्चा की है. आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब 'चाणक्य नीति' में ऐसे मित्र का भी जिक्र किया है जो इंसान के आखिरी समय तक साथ निभाते हैं. आइए जानते हैं चाणक्य से जीवन भर साथ निभाने वाले उन मित्रों के बारे में...
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बाहरी शख्स जो अपने घर से बाहर रहता हो उसके लिए ज्ञान से बड़ा कोई मित्र नहीं होता है. जो व्यक्ति अपनों से दूर रहता है उसके लिए ज्ञान ही अंतिम समय तक उसकी मदद करता है.
चाणक्य ये भी कहते हैं कि जो पत्नी अपने पति की सबसे अच्छी मित्र हो, जिसकी पत्नी अच्छी हो उसे समाज में हमेशा मान-सम्मान मिलता है. वहीं, अगर पत्नी में अवगुण हैं तो व्यक्ति को कई मौके पर अपमानित होना पड़ता है. पत्नी का साथ व्यक्ति को विकट समय में संयमित करता है और परेशानी से लड़ने की ताकत देता है.
चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो उसके लिए दवा ही सच्ची मित्र होती है, क्योंकि दवा ही बीमार शख्स को ठीक कर सकती है.
वहीं, चाणक्य ने इस श्लोक के आखिर में धर्म को इंसान का चौथा सबसे अच्छा मित्र बताया है. चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के लिए जिंदा रहते हुए धर्म के मार्ग पर चलते हुए किए गए काम ही याद रखे जाते हैं. चाणक्य कहते हैं कि इस दौरान जो व्यक्ति जैसा पुण्य कमाता है मरने के बाद उसे वैसे ही याद किया जाता है.