हादसे को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं और सवाल हैं. इन आशंकाओं और सवालों को मजबूत करने का काम मोरबी नगर निगम और अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा) के बीच पुल को लेकर हुआ समझौता कर रहा है.
गुजरात के मोरबी पुल पर हुए हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया है. हादसे को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं और सवाल हैं. इन आशंकाओं और सवालों को मजबूत करने का काम मोरबी नगर निगम और अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा) के बीच पुल को लेकर हुआ समझौता कर रहा है.
मार्च 2022 से अगस्त 2037 तक 15 वर्षों के लिए मोरबी नगर निगम और ओरेवा के बीच मोरबी पुल को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.समझौते के तहत इन 15 वर्षों में पुल का संचालन एवं प्रबंधन, टिकट संग्रहण, सफाई, रख-रखाव का समस्त कार्य ओरेवा द्वारा किया जाएगा.मोरबी नगर निगम व कलेक्टर ने ओरेवा ग्रुप को टिकट की कीमत 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये करने को कहा.इन 15 वर्षों में, मोरबी पुल पर ओरेवा अपनी ब्रांडिंग और व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम दे सकती है.मोरबी पुल पर होने वाला सारा खर्च ओरेवा के हिस्से में होगा और कंपनी पुल की सफाई, टिकट बुकिंग और नकद लेनदेन का ध्यान रखेगी. ओरेवा उन सभी कामों का ध्यान रखेगी, जिनमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.पुल की मरम्मत के बाद फिर से खोलने से पहले कंपनी को फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा. इस तरह की किसी बात का जिक्र समझौते में नहीं है.कंपनी को मार्च में मरम्मत कार्य के लिए 8-12 महीने का समय दिया गया था, लेकिन कंपनी ने 7 महीने में ही पुल खोल दिया.
हादसे के बाद राजकोट रेंज के आईजी अशोक यादव ने कहा था, "हमने IPC की धारा 114, 304, 308 के तहत 9 लोगों को गिरफ़्तार किया है. गिरफ़्तार लोगों में ओरेवा कंपनी के मैनेजर, टिकट क्लर्क, पुल की मरम्मत करने वाला ठेकेदार आदि लोग शामिल हैं". एनडीटीवी ने ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल के फार्महाउस पर जाकर पता किया तो वह नहीं मिले. उनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. इस ब्रिज पर जाने के लिए 17 रुपये का टिकट लेना पड़ता है और इस ब्रिज की क्षमता महज 125 लोगों की थी, मगर हादसे के दिन लगभग 500 लोगों को ब्रिज पर जाने दिया गया.