हिंदू धर्म में तिलक लगाने का बहुत महत्व है. हर पूजा कर्म, पर्व व शुभ कार्य तिलक लगाकर ही किए जाते हैं. शास्त्रों में बिना तिलक के स्नान, दान, तप, यज्ञ, देव व पितृ कर्म निष्फल कहे गए हैं. मंदिर जाने पर भी पुजारी सबसे पहले माथे पर तिलक ही लगाते हैं. ये तिलक मिट्टी, भस्म, रोली, सिंदूर, गोपी चंदन, केसर व चंदन आदि के होते हैं, जिन सबका अलग- अलग महत्व है. आज हम आपको चंदन का तिलक लगाने के लाभ व महत्व के बारे में बता रहे हैं.
चंदन
के
तिलक
के
लाभ
व
महत्व
शास्त्रों में चंदन के तिलक का बहुत महत्व बताया गया है. महर्षि वाल्मीकि भी रामायण में लिखते हैं कि ‘अणुलिप्तं पराध्येन चम्देनेन परन्तपम्’ यानी भगवान श्रीराम ने मस्तक के सामने के भाग पर चंदन का तिलक धारण किया. चंदन की तासीर ठंडी होती है. ऐसे में यह मस्तिष्क को शांत व एकाग्र रखती है. इससे साधक का साधना में मन लगता है. योग साधना में मस्तक के सामने से ब्रह्मरंध्र की ओर जाने वाली सुषुम्रा नाड़ी का शांत और पुष्ट होना बहुत आवश्यक माना जाता है. चंदन का तिलक इस काम को कर ऊपर के मार्ग खोलने में सहायक होता है.
चंदन
तिलक
के
आम
लाभ
चंदन का तिलक आम समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होता है. चंदन से मष्तिष्क शांत होने पर व्यक्ति समस्याओं का सामना शांति व धैर्य से कर सकता है. शांत मस्तिष्क में बुराइयां भी नहीं आती. मानसिक एकाग्रता के साथ चंदन का तिलक संकल्प शक्ति को भी मजबूत करता है. अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द व बुखार जैसी बीमारियों को दूर करने में चंदन का तिलक बहुत सहायक माना जाता है. मनुष्य में सकारात्मक शक्ति के संचार के साथ चंदन से सौभाग्य में भी वृद्धि होने की धार्मिक मान्यता है.
तिलक
लगाने
की
विधि
चंदन का तिलक उर्ध्वपुण्डू और त्रिपुण्ड दोनों तरह से लगाया जा सकता है. ये दोनों तिलक उत्सव या पर्व की रात में लगाने का विशेष महत्व है. भौहों के मध्य चंदन का साधारण तिलक भी बहुत लाभकारी है.