Navratri 2022 ghatsthapna abhijit muhurat: इस साल शारदीय नवरात्रि का त्योहार आज यानी 26 सितंबर 2022 से शुरू हो चुकी हैं और इसका समापन 5 अक्टूबर 2022 को होगा. जो लोग सुबह के शुभ मुहूर्त में घटस्थापना या कलश स्थापना नहीं कर पाए हैं, वे लोग अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं.
Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि आज यानी 26 सितंबर 2022, सोमवार से शुरू हो चुकी हैं. शारदीय नवरात्रि का बहुत महत्व है. बताया जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा पृथ्वी पर निवास करती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. नवरात्रि का त्योहार घटस्थापना से शुरू होता है और नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ समाप्त होता है. नवरात्रि में मुहूर्त के मुताबिक ही घटस्थापना करना सही माना जाता है.आज घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक कुल 1 घंटे 33 मिनट के लिए था. कुछ लोग इस मुहूर्त के मुताबिक अगर घटस्थापना नहीं कर पाए हों तो उनके लिए एक और मुहूर्त है जिसमें वे घटस्थापना कर सकते हैं.
- सुबह के अलावा घटस्थापना का शुभमुहूर्त
अगर कुछ लोग मुहूर्त के मुताबिक घटस्थापना नहीं कर पाए हों तो वे अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं. आश्विन नवरात्रि सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक कुल 48 मिनट का रहेगा. इस मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है.
मान्यताओं के मुताबिक, हर दिन के मध्य का भाग अभिजीत मुहूर्त कहलाता है जो 48 मिनट का होता है. इस समय में कोई भी काम करना शुभ माना जाता है. बताया जाता है कि इस मुहूर्त में किए जाने वाले सभी कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है. इसलिए इस मुहूर्त में कोई भी शुभ काम किया जा सकता है.
- क्या है अभिजीत मुहूर्त
सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक कुल 30 मुहूर्त होते हैं. इन 30 मुहूर्त में से 15 सूर्यास्त तक और अगले 15 मुहूर्त सूर्योदय तक होते हैं. अभिजीत भी इन्हीं में से एक है.
बताया जाता है कि अभिजीत मुहूर्त दिन के मध्याह्न से 24 मिनट पहले शुरू होता है और 24 मिनट बाद तक चलता है. दिन का मध्याह्न दोपहर 12 बजे को माना जाता है. इस प्रकार अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 से 24 मिनट पहले शुरू होता है और 24 मिनट बाद तक चलता है. यानी कि कुल 48 मिनट.
बताया जाता है कि अभिजीत मुहूर्त में दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए और बुधवार के अभिजीत मुहूर्त में शुभ कामों को करने से बचना चाहिए.
- कलश स्थापना के नियम
- कलश का मुंह खुला ना रखें, उसके ऊपर नारियल रखें.
- गलत दिशा में कलश ना रखें, हमेशा ईशान कोण में ही कलश रखें.
- साफ-सफाई का ध्यान रखें
- कलश स्थापना से पहले अखंड ज्योति जला लें.
- कलश स्थापना विधि
अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उस पर कलावा बांधे. उसमें जल भरने के बाद उसमें सुपारी फूल, इत्र, अक्षत्र, पंचरत्न, शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे और सिक्का डालें. इसके बाद पूजा स्थल के पास अलग से एक चौकी पर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाए.उस पर अक्षत से अष्टदल बनाएं और जल से भरे कलश को उसके ऊपर स्थापित करें.
दीप प्रज्वलित कर इष्ट देवताओं का ध्यान करें और देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें. कलश स्थापना के साथ ही मिट्टी के एक बर्तन में ज्वार बोने की परंपरा होती है.