राजस्थान उच्च न्यायालय ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ दायर भाजपा विधायक मदन दिलावर याचिका का सोमवार को निपटारा करते हुए राज्य विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वह विधायक की शिकायत पर सुनवाई करें।
अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि इस मामले को गुण-दोष के आधार पर तीन महीने के अंदर निपटाया जाये।
न्यायमूर्ति महेन्द्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने भाजपा विधायक की याचिका का निपटारा करते हुए दिलावर से कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपनी बात रखें।
अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि दिलावर की ओर से 16 मार्च को दायर शिकायत का निपटान किया जाये।
अध्यक्ष का पक्ष रखने वाले वकील ने बताया , ‘‘ अदालत ने मदन दिलावर की याचिका का निपटारा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से 16 मार्च को दर्ज की गई शिकायत पर सुनवाई करने और तीन महीने के अंदर इसे गुण-दोष के आधार पर निपटाने को कहा है।’’
अदालत के आदेश के विस्त्तृत ब्योरे का अभी इंतजार है।
दिलावर ने बसपा के छह विधायकों संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लाखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी है।
उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा बसपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।
उन्होंने पिछले साल 16 सितम्बर 2019 को कांग्रेस में एक समूह के रूप में विलय के लिए अर्जी दी थी। विधानसभा स्पीकर ने अर्जी के दो दिन बाद 18 सितम्बर 2019 आदेश जारी कर घोषित किया कि इन छह विधायकों से कांग्रेस के अभिन्न सदस्य की तरह व्यवहार किया जाए।
विलय को चुनौती देते हुए दिलावर ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष शिकायत की थी, जिसे 24 जुलाई को खारिज कर दिया गया था।