GE के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एच. लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा कि यह भारत और HAL के साथ हमारी दीर्घकालिक साझेदारी से संभव हुआ ऐतिहासिक समझौता है. ये डील ऐसे समय पर हुई है, जब पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं. इस डील से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं. इसी बीच अमेरिका की GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच महत्वपूर्ण करार हुआ है. इसके तहत अब GE एयरोस्पेस HAL के साथ मिलकर भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए लड़ाकू जेट इंजन बनाएगा. ये डील ऐसे समय पर हुई है, जब पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं. इस डील से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
GE एयरोस्पेस ने कहा कि इस समझौते के तहत इंडिया में GE एयरोस्पेस के F414 इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन शामिल है और GE एयरोस्पेस इसके लिए जरूरी निर्यात प्राधिकरण हासिल करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ भी काम जारी रखेगा. यह करार भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान MK2 कार्यक्रम का हिस्सा है
GE के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एच. लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा कि यह भारत और HAL के साथ हमारी दीर्घकालिक साझेदारी से संभव हुआ ऐतिहासिक समझौता है. हमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोनों देशों के बीच घनिष्ठ समन्वय को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाने पर गर्व है. हमारे F414 इंजन बेजोड़ हैं और दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा लाभ प्रदान करेंगे.
GE भारत में कब से कर रहा है काम?
GE एयरोस्पेस पिछले 4 दशक से ज्यादा समय से भारत में काम कर रहा है. लेकिन अभी तक GE एयरोस्पेस भारत की व्यापक भागीदारी के साथ एवियोनिक्स, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और स्थानीय सोर्सिंग के क्षेत्र में काम कर रहा था. लेकिन अब इसकी ओर से कई अमेरिकी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही F414 इंजन बनाने का काम किया जाएगा.
GE का भारत के डिफेंस क्षेत्र में क्या है योगदान?
GE एयरोस्पेस ने भारत में 1986 में F404 इंजन के साथ हल्के लड़ाकू विमान (LCA) बनाने के लिए एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और HAL के साथ काम करना शुरू किया था. इसके बाद GE एयरोस्पेस के F404 और F414 LCA Mk1 और LCA Mk2 कार्यक्रमों के विकास और उत्पादन कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं. अभी तक GE की ओर से कुल 75 F404 इंजन प्रदान किए जा चुके हैं. जबकि 99 इंजन LCA Mk1A के लिए ऑर्डर पर हैं.
GE एयरोस्पेस से करार महत्वपूर्ण क्यों?
चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को अपने लड़ाकू विमानों की तादाद तेजी से बढ़ाने की जरूरत है. इस वक्त तेजस मार्क-2 के लिए नए इंजन की जरूरत थी. पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे में GE F414 Engine का निर्माण भारत में होने पर मुहर लग गई है. अब जेट इंजन भारत में बनने लगेगा. इस कदम से फाइटर जेट्स को लेकर भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम होगी और देसी तकनीक के जरिए एयर पावर बढ़ाने की दिशा में हम आगे बढ़ पाएंगे.