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Delhi Pollution: दिल्ली में दमघोंटू हवा, अगले 4 दिन तक नहीं मिलेगी राहत, बढ़ाई जाएंगी ये पाबंदियां

Delhi Pollution: दिल्ली में दमघोंटू हवा, अगले 4 दिन तक नहीं मिलेगी राहत, बढ़ाई जाएंगी ये पाबंदियां

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता मई के बाद पहली बार रविवार को 'बहुत खराब' हो गई थी, जिसका मुख्य कारण तापमान और हवा की गति में गिरावट थी, जिससे प्रदूषक जमा हो गए थे. हालांकि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार तरह-तरह के कदम उठा रही है. आइए जानते हैं दिल्ली के प्रदूषण पर क्या है अपडेट.

राजधानी दिल्ली में लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में बना हुआ है और आने वाले कुछ दिनों तक भी हवा में सुधार के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. आज यानी 27 अक्टूबर को दिल्ली का औसत AQI 249 दर्ज किया गया, जो खराब कैटेगरी में आता है. कल (26 अक्टूबर) इसी वक्त ये 256 मापा गया था, वहीं बुधवार को एक्यूआई 243 और मंगलवार को 220 दर्ज किया गया था.

दिल्ली के लिए केंद्र की एयर क्वालिटी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के मुताबिक, शहर की वायु गुणवत्ता अगले तीन से चार दिनों में 'खराब' और 'बहुत खराब' श्रेणियों के बीच रहने वाली है. बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 से 200 को 'मध्यम', 201 से 300 को 'खराब', 301 से 400 को 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच एक्यूआई को 'गंभीर' माना जाता है.

दिल्ली-एनसीआर की हवा का हाल

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता मई के बाद पहली बार रविवार को 'बहुत खराब' हो गई थी, जिसका मुख्य कारण तापमान और हवा की गति में गिरावट थी, जिससे प्रदूषक जमा हो गए थे. हालांकि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार तरह-तरह के कदम उठा रही है. दिल्ली सरकार ने गुरुवार को वाहन प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए 'रेड लाइट ऑन इंजन ऑफ' अभियान भी शुरू किया.

दिल्ली में सर्दियों में क्यों बढ़ने लगता है प्रदूषण

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए 2019 के एक अध्ययन से पता चला है कि ट्रैफिक सिग्नल पर इंजन चालू रखने से प्रदूषण का स्तर 9 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है. वहीं, पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के लिए किए गए उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन अध्ययनों की एक श्रृंखला से पता चला है कि राजधानी में पीएम 2.5 उत्सर्जन में सड़क पर वाहनों से निकलने वाले धुएं का हिस्सा 9 प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक है. 

दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का क्या है हाल, देखें खास कवरेज

प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का मिश्रण, हर साल दिवाली के आसपास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देता है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में सबसे ज्यादा तेजी देखी जाती है.

एक्टिव मोड में सरकार!

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा 13 के अलावा आठ और प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की है, और प्रदूषण स्रोतों की जांच के लिए वहां विशेष टीमें तैनात की जाएंगी. राय ने कहा कि सरकार ने शहर में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए सपरेसेंट पाउडर का उपयोग करने का भी फैसला लिया है. सपरेसेंट पाउडर में कैल्शियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, लिग्नोसल्फोनेट्स और विभिन्न पॉलिमर जैसे रासायनिक एजेंट शामिल हो सकते हैं. ये रसायन महीन धूल कणों को आकर्षित करने और एक साथ बांधने का काम करते हैं, जिससे वे हवा में फैलने के लिए बहुत भारी हो जाते हैं.

बढ़ेंगी पाबंदियां

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के नाम से जानी जाने वाली प्रदूषण नियंत्रण योजना को सक्रिय रूप से लागू करने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने शनिवार को एनसीआर में अधिकारियों को निजी परिवहन में कमी करने के तहत पार्किंग शुल्क बढ़ाने का निर्देश दिया था और सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो ट्रेनों की सेवाएं बढ़ाने की बात कही थी. ये एक्शन GRAP के चरण II का हिस्सा है जिसे तब लागू किया जाता है जब दिल्ली का AQI 'बहुत खराब' होने की भविष्यवाणी की जाती है.

CAQM के मुताबिक, GRAP को चार कैटेगरी में लागू किया जाता है.

स्टेज 1-AQI का स्तर 201 से 300 के बीच

स्टेज 2-AQI का स्तर 301 से 400 के बीच

स्टेज 3-AQI का स्तर 401 से 450 के बीच
स्टेज 4-AQI का स्तर 450 के ऊपर.

स्टेज 2 पर लगती हैं ये पाबंदियां

हर दिन सड़कों की सफाई होगी. जबकि, हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा. 

होटल या रेस्टोरेंट में कोयले या तंदूर का इस्तेमाल नहीं होगा. 

अस्पतालों, रेल सर्विस, मेट्रो सर्विस जैसी जगहों को छोड़कर कहीं और डिजल जनरेटर का इस्तेमाल नहीं होगा. 
लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें, इसके लिए पार्किंग फीस बढ़ा दी जाएगी. 
इलेक्ट्रिक या CNG बसें और मेट्रो सर्विस के फेरे बढ़ाए जाएंगे.











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